दक्षिणी रिंग नेबुला, जिसे NGC 3132 के नाम से भी जाना जाता है, ब्रह्मांड के सबसे आश्चर्यजनक खगोलीय पिंडों में से एक है। यह अपने लहरते हुए, रंगीन स्वरूप के लिए जाना जाता है, जो किसी रंगीन गेंद की तरह दिखाई देता है. हाल ही में, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने इस नेबुला को अवरक्त प्रकाश में देखा, जिससे आश्चर्यजनक नई जानकारी सामने आई है।
दक्षिणी रिंग नेबुला (Southern Ring Nebula)
स्थान (Location)
- स्थिति: वेला (Vela) तारामंडल में
- दूरी: लगभग 2,000 प्रकाश वर्ष
परिभाषा (Definition)
- प्रकार: प्लेनेटरी नेबुला
- रंग: लाल, नारंगी, हरा
विशेषताएँ (Features)
- रूपरेखा: गाथा के समान
- आकार: छोटे बिंदु के चारों ओर विस्तार
गणनीय वैशिष्ट्य (Notable Features)
- अलांकरण: लाल, नारंगी, हरे रंगों में
- स्वच्छ बिन्दु: हाल्के रंग का छोटा बिंदु
जेम्स वेब टेलीस्कोप द्वारा किया गया नया खुलासा
JWST की गहरी निगाह ने खुलासा किया है कि दक्षिणी रिंग नेबुला में एक छिपी हुई डबल-रिंग संरचना है। यह खोज इस बात की ओर इशारा करती है कि नेबुला के केंद्र में एक नहीं, बल्कि संभावित रूप से तीन तारे हो सकते हैं। इससे पहले खगोलविदों का मानना था कि केंद्र में सिर्फ एक तारा है। तीन तारों की उपस्थिति नेबुला के विकास और संरचना को समझने में वैज्ञानिकों की मदद कर सकती है।
लगभग 2,000 प्रकाश-वर्ष दूर, पाल (Vela) तारामंडल में स्थित दक्षिणी रिंग नेबुला को एक ग्रहीय नेबुला के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। नाम में भ्रामक है – ये नेबुला ग्रहों से संबंधित नहीं हैं। असल में, ये सूर्य जैसे तारों के अंतिम चरण होते हैं। ये तारे अपनी बाहरी परतों को छोड़ देते हैं और धीरे-धीरे श्वेत वामन तारों में बदल जाते हैं। निकाले गए गैस और धूल से ही यह रंगीन नेबुला बनता है।
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दिसंबर 2022 में, JWST ने दक्षिणी रिंग नेबुला की एक विस्तृत छवि कैप्चर की थी। इस छवि में नेबुला के “एक्सोस्केलेटन” का निर्माण करने वाली आणविक हाइड्रोजन गैस का पता चला था। यह गैस केंद्रीय श्वेत बौने से पराबैंगनी प्रकाश द्वारा गर्म और रोशन होती है, जो लगभग 1,000 केल्विन के तापमान पर विकिरण उत्सर्जित करती है। हालांकि, यह एक्सोस्केलेटन नेबुला के भीतर आणविक गैस के केवल एक छोटे से हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।
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जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के आने से पहले, खगोलविदों को नेबुला के आंतरिक संरचना का पूरा अंदाजा नहीं था। अब, JWST और जमीन पर स्थित अन्य दूरबीनों के डेटा को मिलाकर वैज्ञानिक दक्षिणी रिंग नेबुला के रहस्यों को और बेहतर ढंग से सुलझाने की उम्मीद कर रहे हैं। इस नए ज्ञान से न केवल इस विशिष्ट नेबुला के बारे में हमारी समझ बढ़ेगी बल्कि तारों के जीवन चक्र और ग्रह नेबुला के विकास के बारे में भी हमारा ज्ञान व्यापक होगा।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह केवल एक संक्षिप्त सारांश है। अधिक जानकारी के लिए, कृपया मूल स्रोतों का संदर्भ लें।
महत्वपूर्ण प्रश्नोतर
टेलीस्कोप क्या है
टेलीस्कोप एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग दूर की वस्तुओं को देखने के लिए किया जाता है। यह लेंस या दर्पणों की एक प्रणाली का उपयोग करके प्रकाश को इकट्ठा करता है और बढ़ाता है, जिससे हमें वस्तुओं को बड़ा और अधिक विस्तृत दिखाई देता है।
टेलीस्कोप मुख्य प्रकार
अपवर्तक टेलीस्कोप:ये लेंस का उपयोग करके प्रकाश को अपवर्तित करते हैं।
परावर्तक टेलीस्कोप:ये दर्पणों का उपयोग करके प्रकाश को परावर्तित करते हैं।
टेलीस्कोप का उपयोग
ग्रह और तारे: खगोलविद ग्रहों, तारों और आकाशगंगाओं का अध्ययन करने के लिए टेलीस्कोप का उपयोग करते हैं।
उपग्रह: वैज्ञानिक उपग्रहों का निरीक्षण करने और उनकी गतिविधियों का अध्ययन करने के लिए टेलीस्कोप का उपयोग करते हैं।
धूमकेतु और क्षुद्रग्रह: खगोलविद धूमकेतुओं और क्षुद्रग्रहों के मार्ग और संरचना का अध्ययन करने के लिए टेलीस्कोप का उपयोग करते हैं।
ब्लैक होल: वैज्ञानिक ब्लैक होल का अध्ययन करने और उनके गुणों के बारे में जानने के लिए टेलीस्कोप का उपयोग करते हैं।
टेलीस्कोप के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
दुनिया का पहला टेलीस्कोप 1608 में गैलीलियो गैलीली द्वारा बनाया गया था।
सबसे बड़ा टेलीस्कोप हवाई में स्थित केक ऑब्जर्वेटरी में है। इसका व्यास 10 मीटर है।
अंतरिक्ष में कई टेलीस्कोप भी हैं, जैसे हबल स्पेस टेलीस्कोप और जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप।
भारत में भी कई टेलीस्कोप हैं, जैसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) में स्थित 2.3 मीटर टेलीस्कोप।
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) एक बड़ी, अवरक्त अंतरिक्ष वेधशाला है जिसे नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी (CSA) द्वारा विकसित और संचालित किया गया है। यह अब तक की सबसे शक्तिशाली अंतरिक्ष वेधशाला है, और इसे हबल स्पेस टेलीस्कोप का उत्तराधिकारी माना जाता है।
JWST को 25 दिसंबर, 2021 को लॉन्च किया गया था और वर्तमान में सूर्य से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर दूसरी लैग्रेंज बिंदु (L2) पर स्थित है। यह अवरक्त प्रकाश में ब्रह्मांड का निरीक्षण करता है, जो इसे पहले की तुलना में दूर की वस्तुओं और ठंडी वस्तुओं को देखने की अनुमति देता है।
JWST का प्राथमिक दर्पण बेरिलियम से बना है और इसका व्यास 6.5 मीटर है। यह दर्पण सोने की एक पतली परत से ढका हुआ है, जो अवरक्त प्रकाश को प्रतिबिंबित करता है। टेलीस्कोप में चार वैज्ञानिक उपकरण भी हैं जो अवरक्त प्रकाश में ब्रह्मांड का अध्ययन करते हैं।
टेलीस्कोप की कीमत
टेलीस्कोप की कीमत कई कारकों पर निर्भर करती है, जिनमें शामिल हैं:
प्रकार: अपवर्तक टेलीस्कोप आमतौर पर परावर्तक टेलीस्कोप की तुलना में कम खर्चीले होते हैं।
आकार: बड़े टेलीस्कोप आमतौर पर छोटे टेलीस्कोप की तुलना में अधिक महंगे होते हैं।
गुणवत्ता: उच्च गुणवत्ता वाले लेंस और दर्पण वाले टेलीस्कोप आमतौर पर कम गुणवत्ता वाले वाले टेलीस्कोप की तुलना में अधिक महंगे होते हैं।
ब्रांड: प्रसिद्ध ब्रांडों के टेलीस्कोप आमतौर पर कम प्रसिद्ध ब्रांडों के टेलीस्कोप की तुलना में अधिक महंगे होते हैं।
यहां कुछ सामान्य मूल्य सीमाएं दी गई हैं:
शौकिया टेलीस्कोप: ₹5,000 से ₹50,000 तक
मध्य-श्रेणी के टेलीस्कोप: ₹50,000 से ₹2,00,000 तक
पेशेवर टेलीस्कोप: ₹2,00,000 से कई करोड़ रुपये तक
लिक्विड मिरर टेलीस्कोप
लिक्विड मिरर टेलीस्कोप (LMT), तरल पदार्थ, आमतौर पर पारा, से बने दर्पण का उपयोग करके ब्रह्मांड का अध्ययन करने के लिए एक अनूठा प्रकार का दूरबीन है। पारंपरिक ठोस दर्पणों के विपरीत, LMT को घुमाकर एक परवलयिक आकार दिया जाता है, जो प्रकाश को इकट्ठा करता है और उसे फोकस करने में मदद करता है।
यह तकनीक कई फायदे प्रदान करती है:
कम लागत: LMT का निर्माण अपेक्षाकृत कम खर्चीला होता है, क्योंकि पारंपरिक दूरबीनों की तुलना में उन्हें कम जटिल संरचनाओं की आवश्यकता होती है।
बड़ा आकार: LMT का आकार बहुत बड़ा हो सकता है, जो उन्हें अधिक प्रकाश इकट्ठा करने और दूर की वस्तुओं का अध्ययन करने की अनुमति देता है।
लचीलापन: LMT को आसानी से समायोजित किया जा सकता है, जिससे वैज्ञानिकों को विभिन्न तरंग दैर्ध्य का अध्ययन करने और विभिन्न प्रकार के खगोलीय पिंडों का अवलोकन करने की सुविधा मिलती है।
टेलीस्कोप का आविष्कार किसने किया
टेलीस्कोप का आविष्कार हंस लिपरहे और ज़ाचारियास जानसेन नामक दो डच वैज्ञानिकों को स्वतंत्र रूप से दिया जाता है, दोनों ने ही 1608 में अपने उपकरणों का निर्माण किया था।
यह कहना मुश्किल है कि कौन पहले था, क्योंकि दोनों ने ही लगभग एक ही समय में काम किया था।
हालांकि, लिपरहे को आमतौर पर पहला व्यक्ति माना जाता है जिसने सार्वजनिक रूप से अपने आविष्कार का प्रदर्शन किया था।
उन्होंने 1609 में डच सरकार को अपना टेलीस्कोप दिखाया, और इसे जल्दी से खगोलविदों और सैन्य अधिकारियों द्वारा अपनाया गया।
यहां कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
लिपरहे का टेलीस्कोप एक अपवर्तक टेलीस्कोप था, जो लेंस का उपयोग करके प्रकाश को मोड़ता है।
जानसेन का टेलीस्कोप एक परावर्तक टेलीस्कोप था, जो दर्पण का उपयोग करके प्रकाश को प्रतिबिंबित करता है।
गैलीलियो गैलीली ने 1610 में टेलीस्कोप के बारे में सुना और जल्दी से अपना खुद का बनाया। उन्होंने इसका उपयोग चंद्रमा की सतह, बृहस्पति के चार उपग्रहों और आकाशगंगा में अनगिनत सितारों की खोज के लिए किया।
टेलीस्कोप के आविष्कार ने खगोल विज्ञान में क्रांति ला दी और हमें ब्रह्मांड की हमारी समझ को बदलने में मदद की।
दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्कोप
दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्कोप दो प्रकार का हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस मापदंड का उपयोग करते हैं:
1. सतह क्षेत्र के आधार पर:
स्क्वायर किलोमीटर ऐरे (SKA): यह एक रेडियो टेलीस्कोप है जो ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में फैला हुआ है। इसका कुल सतह क्षेत्र 1 वर्ग किलोमीटर से अधिक है, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्कोप बनाता है।
यह टेलीस्कोप ब्रह्मांड के शुरुआती दिनों, ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारों जैसे विदेशी वस्तुओं और अंधेरे पदार्थ और ऊर्जा की प्रकृति का अध्ययन करने के लिए उपयोग किया जाता है।
2. प्रकाश इकट्ठा करने की क्षमता के आधार पर:
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST): यह एक अवरक्त अंतरिक्ष दूरबीन है जिसे नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी (CSA) द्वारा विकसित और संचालित किया गया है। इसका प्राथमिक दर्पण 6.5 मीटर चौड़ा है, जो इसे अब तक का सबसे बड़ा प्रकाश-इकट्ठा करने वाला टेलीस्कोपबनाता है।
हबल टेलीस्कोप क्या है
हबल स्पेस टेलीस्कॉप (HST) एक बड़ी, अवरक्त-दृश्यमान प्रकाश टेलीस्कोप है जो अंतरिक्ष में है। यह अब तक की सबसे शक्तिशाली अंतरिक्ष वेधशाला है, और इसे ब्रह्मांड के पहले सितारों और आकाशगंगाओं, ग्रहों के निर्माण की प्रक्रिया और एक्सोप्लैनेट का अध्ययन करने के लिए उपयोग किया जाता है।
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