सिहेक चूजा: प्रजाति के लिए आशा की किरण (Sihek Chick: A Beacon of Hope for the Species)

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गुआम किंगफिशर का पुनर्जन्म: संरक्षण की कहानी
The Rebirth of the Guam Kingfisher: A Conservation Story

नवजात सिहेक चूजा (Sihek Chick), जिसे गुआम किंगफिशर के नाम से भी जाना जाता है, अपनी प्रजाति के लिए “आशा की किरण” के रूप में वर्णित किया गया है, जो वर्तमान में जंगली में विलुप्त है। यह महत्वपूर्ण चूजा पिछले महीने अमेरिका के कैनसस में एक चिड़ियाघर में जन्मा, जिससे इस प्रजाति के अपने मूल निवास स्थान में पुनः परिचय की आशा बढ़ गई है, जिसे अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से संभव बनाने का प्रयास हो रहा है।

लंदन की जूलॉजिकल सोसाइटी (ZSL) के एक प्रतिनिधि ने बताया कि मादा चूजे ने संरक्षण प्रयासों में “एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर” स्थापित किया है। उत्तरी प्रशांत के गुआम में कभी फलने-फूलने वाले सिहेक, 1940 के दशक में भूरे रंग के पेड़ के साँप के आकस्मिक परिचय के कारण गंभीर गिरावट का सामना करना पड़ा। 1988 तक, सिहेक को जंगली में नहीं देखा गया, जिससे इसे अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ द्वारा जंगली में विलुप्त घोषित किया गया।

आज, केवल 141 सिहेक बचे हैं, जो सभी मानव देखभाल में हैं। सिहेक पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम, अमेरिकी द्वीप पालमायरा एटोल पर एक अस्थायी जंगली आबादी स्थापित करने का प्रयास कर रहा है, इसके बाद पक्षियों को अंततः गुआम में वापस लाया जाएगा। विशेषज्ञ लगातार देखभाल प्रदान कर रहे हैं ताकि चूजे का जीवन सुरक्षित रह सके।

पक्षीपालक शार्लोट जेम्स ने चूजे के प्रारंभिक दिनों का वर्णन करते हुए बताया कि इसका प्रारंभिक वजन एक पेंसिल के समान था और इसके तेजी से बढ़ने की उम्मीद है, 30 दिनों के भीतर सुंदर नीले और दालचीनी रंग के पंखों का विकास होगा। प्रत्येक सफलतापूर्वक पैदा हुए चूजे को इस प्रजाति के भविष्य के लिए “विशाल आशा की किरण” के रूप में देखा जाता है।

वर्तमान में, सेडगविक काउंटी चिड़ियाघर का चूजा चूहों और कीड़ों को खिलाया जा रहा है। यदि इसे पालमायरा एटोल के जंगलों में छोड़ा जाता है, तो इसे कीड़ों और गेक्को का शिकार करना सीखना होगा।

सिहेक पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम: भविष्य की ओर एक कदम
Sihek chick Recovery Program: A Step Towards the Future

प्रोफेसर जॉन यूवेन, जूलॉजी संस्थान के संरक्षण विशेषज्ञ, ने प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने में संरक्षण चिड़ियाघरों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने सिहेक की आबादी बढ़ाने में आने वाली चुनौतियों, जैसे कम अंडों की संख्या और घटती उर्वरता, को स्वीकार किया। सेडगविक काउंटी चिड़ियाघर में लाए गए सात अंडों में से केवल एक ही अंडा सफलतापूर्वक फूटा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि विलुप्त प्रजातियों की बड़ी आबादी का निर्माण और उनकी जंगली संख्या को बहाल करने के प्रयास क्यों इतने महत्वपूर्ण हैं।

लंदन की जूलॉजिकल सोसाइटी (ZSL) का विवरण
Description of the Zoological Society of London (ZSL)

Image credit : John Ewen, ZSL

लंदन की जूलॉजिकल सोसाइटी (ZSL) एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक और संरक्षण संगठन है, जिसकी स्थापना 1826 में हुई थी। यह संस्था वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवासों के संरक्षण के लिए समर्पित है। ZSL लंदन और व्हिप्सनेड चिड़ियाघरों का संचालन करती है, जो वन्यजीवों के संरक्षण और अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इस सोसाइटी का मुख्य उद्देश्य वैश्विक जैव विविधता को संरक्षित करना और प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा के लिए जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देना है। ZSL विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण परियोजनाओं और अनुसंधान कार्यक्रमों में शामिल है, जिससे विलुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली में योगदान दिया जा सके।

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महत्वपूर्ण प्रश्नोतर

विश्वप्रसिद्ध जूलॉजिकल सोसाइटीज
(World-renowned Zoological Societies Biodiversity)

जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन (ZSL) – 1826 में स्थापित, ZSL प्राणियों और उनके आवासों के संरक्षण के लिए समर्पित है। यह लंदन और व्हिप्सनेड चिड़ियाघरों का प्रबंधन करता है और विश्वभर में विभिन्न संरक्षण और अनुसंधान कार्यक्रमों में शामिल है।
अमेरिकन सोसाइटी ऑफ मैमलॉजिस्ट्स (ASM) – ASM एक पेशेवर संगठन है जो मैमल्स का अध्ययन और संरक्षण करने के लिए समर्पित है। यह मैमल्स के वैज्ञानिक अध्ययन को प्रोत्साहित करता है और शोधकर्ताओं और संरक्षणिस्तों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।
सोसाइटी फॉर कंसर्वेशन बायोलॉजी (SCB) – SCB एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो पृथ्वी की जैव विविधता के संरक्षण के विज्ञान और अभ्यास को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है। यह वैज्ञानिकों, प्रैक्टीशनर्स और नीति निर्माताओं को एकत्र करके संरक्षण चुनौतियों का समाधान ढूंढने में मदद करता है।
ऑस्ट्रेलियन मैमल सोसाइटी (AMS) – AMS एक सोसाइटी है जो ऑस्ट्रेलियन मैमल्स के अध्ययन और संरक्षण के लिए समर्पित है। यह एकीकृत अनुसंधान, शिक्षा और संरक्षण प्रयासों को प्रोत्साहित करता है ताकि ऑस्ट्रेलिया की विशेष मैमलियन जीवसंस्कृति की रक्षा की जा सके।
अफ्रीकन वाइल्डलाइफ फाउंडेशन (AWF) – AWF एक संरक्षण संगठन है जो अफ्रीका की वन्यजीव और जंगली भूमि की सुरक्षा के लिए समर्पित है। यह सतत संरक्षण समाधान बनाने और स्थानीय समुदायों को उनकी प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करने की क्षमता प्रदान करने के लिए काम करता है।

जैव विविधता (Biodiversity)

जैव विविधता एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवों और उनके आवासों की विविधता को समाहित किया जाता है। यह जीवन के विविध रूप, प्रकार, आवास और उसकी संरचना को सम्मिलित करता है जो अद्वितीय और संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है। जैव विविधता का संरक्षण आवश्यक है क्योंकि यह हमारे लिए खाद्य, औषधि, वायव्यिक सेवाएं और जैविक संसाधनों की प्राकृतिक संग्रहण का स्रोत है।

विलुप्त प्रजातियों का संरक्षण (Conservation of Endangered Species)

विलुप्त प्रजातियों का संरक्षण एक महत्वपूर्ण कार्य है जो सभी मानवों के लिए आवश्यक है। इसका मुख्य उद्देश्य उन प्रजातियों को सुरक्षित रखना और उनकी संख्या को बढ़ाना है जिनकी संरक्षा के लिए खतरे का सामना है। विलुप्त प्रजातियों का संरक्षण उनके प्राकृतिक आवासों की संरक्षा, वन्यजीवों के तस्करी और वन्यजीवों के विपणन का विरोध करने में मदद करता है। यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि हमारी विकास की प्रक्रिया में उनका समाहित किया गया सहारा न ले ले। इसके लिए, सरकारें, संगठन और व्यक्तिगत व्यक्तियों की भूमिका महत्वपूर्ण है जो संवेदनशीलता, संगठनात्मक कौशल और तकनीकी ज्ञान का सही उपयोग करके इस महत्वपूर्ण कार्य को समर्थन कर सकते हैं।

भारत की जूलॉजिकल सोसाइटीज (Zoological Societies in India)

भारत में कई जूलॉजिकल सोसाइटीज हैं जो प्राकृतिक जीवन की रक्षा और अध्ययन करती हैं। कुछ मुख्य सोसाइटीज निम्नलिखित हैं:
भारतीय पशु-वन्यजीव संरक्षण सोसाइटी (Indian Society for Wildlife and Conservation Biology – ISWCB) – यह सोसाइटी भारत में वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता के क्षेत्र में अध्ययन और अनुसंधान को प्रोत्साहित करती है।
भारतीय प्राणिजीव विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science – IISc) – IISc बैंगलोर में स्थित है और वन्यजीव बायोलॉजी और प्राणिजीव विज्ञान में अग्रणी केंद्रों में से एक है।
भारतीय पक्षी संरक्षण संस्थान (Bombay Natural History Society – BNHS) – BNHS मुंबई में स्थित है और भारतीय पक्षियों की संरक्षण और अध्ययन के लिए अग्रणी संगठनों में से एक है।
भारतीय प्राणिजीव संरक्षण संस्थान (Wildlife Institute of India – WII) – WII देहरादून, उत्तराखंड में स्थित है और भारतीय वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में शोध और शिक्षा को प्रोत्साहित करता है।
भारतीय वन्यजीव संरक्षण संस्थान (Wildlife Conservation Society of India – WCS-India) – WCS-India भारत में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली अन्य एक महत्वपूर्ण संस्था है।
ये सोसाइटीज भारत में प्राकृतिक जीवन और जैव विविधता की सुरक्षा और अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

विश्व वन्यजीव दिवस (World Wildlife Day)

विश्व वन्यजीव दिवस (World Wildlife Day) हर साल 3 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य वन्यजीवों की संरक्षा के महत्व पर जागरूकता फैलाना है और इस विषय पर सामाजिक और संगठनात्मक चर्चाओं को प्रोत्साहित करना है। इस दिन को मनाने का आयोजन विश्व वन्यजीव संरक्षण संघ (CITES) ने 2013 में किया था। यह दिन वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (1972 Wildlife Protection Act 1972)

भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 एक महत्वपूर्ण कानून है जो भारत में वन्यजीवों की संरक्षा और प्रबंधन के लिए बनाया गया था। इस अधिनियम के अनुसार, वन्यजीवों की सुरक्षा, उनके आवास की संरक्षा, उनके विनियमन और उनकी संरक्षा के लिए अन्य उपायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस अधिनियम के तहत, वन्यजीवों की हत्या, उनका व्यापार और उनके आवास की हानि के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। यह अधिनियम भारत सरकार को वन्यजीवों की संरक्षण के लिए विभिन्न कदम उठाने की अधिकारी बनाता है और उसे अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करने का आदेश देता है।

भारतीय वन्यजीव संस्थान (Indian Wildlife Institute)

भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India – WII) भारत सरकार के वन्यजीव संरक्षण मंत्रालय के अधीन स्थित एक प्रमुख संस्थान है। यह 1982 में स्थापित किया गया था और उत्तराखंड के देहरादून में स्थित है। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय वन्यजीव संसाधनों के प्रबंधन और संरक्षण में उत्कृष्टता प्राप्त करना है। WII वन्यजीव अनुसंधान, प्रबंधन, शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में काम करता है और वन्यजीव संरक्षण के लिए वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिकी उपायों का अध्ययन करता है। इसके अंतर्गत विभिन्न अनुसंधान परियोजनाएं, समुदाय के साथ सहयोग, शैक्षिक कार्यक्रम और वन्यजीवों के प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

बखिरा वन्यजीव अभयारण्य (Bakira Wildlife Sanctuary)

बखिरा वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान, भारत में स्थित है। यह वन्यजीव अभयारण्य बाड़मेर जिले में स्थित है और राजस्थान के सबसे बड़े वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है। यहाँ पर अनेक प्रकार के प्राचीन और वन्य वन्यजीवों का आवास है, जैसे कि बाघ, चीता, हाथी, लोमड़ी, गीदड़, जंगली सुअर, नीलगाय, चिंगारा, चित्रकूट, जैसे प्रजातियाँ। यहाँ कई प्रकार की पादप सभ्यताएं हैं और इसके अलावा बहुत से देवालय और एक रानी का तालाब भी है।

हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य (Hastinapur Wildlife Sanctuary)

हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह अभयारण्य बिजनौर जिले में स्थित है और यमुना नदी के किनारे फैला हुआ है। हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है और यहाँ पर विविध प्रकार के वन्यजीवों का आवास है, जैसे कि हाथी, बाघ, सम्भर, नीलगाय, चीतल, जंगली सुअर, गायल, लोमड़ी, गीदड़, चिंगारा, चित्रकूट, ब्लैकबक, नीलकंठ, नीलगाय, भालू, और अन्य प्रजातियों। यहाँ कई प्रकार के पक्षी और मछली भी पाए जाते हैं।

वन्यजीवों को संरक्षित करने के 5 उपाय लिखिए। (5 Ways to Protect Wildlife)

वन्यजीवों को संरक्षित करने के लिए निम्नलिखित पाँच उपाय हैं:
अभयारण्यों का संरक्षण: वन्यजीवों को संरक्षित करने के लिए अभयारण्यों का निर्माण और संचालन महत्वपूर्ण है। इन अभयारण्यों में वन्यजीवों के लिए उपयुक्त आवास, भोजन और सुरक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए।
कच्ची और पक्की रक्षात्मक कवर: वन्यजीवों के लिए सुरक्षात्मक कवर उपलब्ध कराना जरूरी है। इससे वन्यजीवों को अवैध शिकार से बचाया जा सकता है।
सजीव संवर्धन: वन्यजीवों के लिए उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित रखने के लिए उन्हें संरक्षित क्षेत्रों में विस्तारित किया जा सकता है।
कच्चे वन क्षेत्रों का संरक्षण: वन्यजीवों के लिए कच्चे वन क्षेत्रों को संरक्षित रखना भी महत्वपूर्ण है। ये क्षेत्र उनके प्राकृतिक जीवन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं।
संजीवनी वन्यजीव संरक्षण केंद्र: संजीवनी वन्यजीव संरक्षण केंद्रों की स्थापना करनी चाहिए। इन केंद्रों में वन्यजीवों का उचित देखभाल किया जा सकता है और उन्हें जिम्मेदारी से पालने के लिए उचित माहौल प्रदान किया जा सकता है।

रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य (Ranipur Wildlife Sanctuary)

रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य उत्तराखंड, भारत में स्थित है। यह अभयारण्य जिमकोर्गांव विकास खंड में है और कुमाओं जनजाति के गांवों के पास स्थित है। यह अभयारण्य रामनगर जिले के सबसे बड़े वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है। इसमें बाघ, भालू, हाथी, सांभर, नीलगाय, चीतल, लोमड़ी, गीदड़, चिंगारा, चित्रकूट, जंगली सुअर, गोराल, काला हिरण, गोंड, सांगार, बारासिंघा, गहरियाल, मगर जैसे वन्यजीव पाए जाते हैं। यहाँ पर एक वन्यजीव अस्पताल भी है जो वन्यजीवों के इलाज में मदद करता है।

असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य (Asola Bhatti Wildlife Sanctuary)

असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य भारत, दिल्ली के आसपास स्थित है। यह अभयारण्य दिल्ली रिजर्व फॉरेस्ट एरिया के एक हिस्से में है और यहाँ पर विभिन्न प्रकार के जानवरों का आवास है, जैसे कि नीलगाय, चीतल, नीलकंठ, ब्लैकबक, सांभर, बारासिंघा, लंगुर, मक्कड़, कछुआ, साँप, चींटी, और अन्य। यहाँ पर वन्यजीवों की रक्षा और संरक्षण के लिए कई प्रकार की पहलें की जाती हैं, जैसे कि पर्यावरण संरक्षण, संवर्धन कार्यक्रम, जैव विविधता संरक्षण, और जागरूकता अभियान।

माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य (Mount Abu Wildlife Sanctuary)

माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान, भारत में स्थित है। यह अभयारण्य आबू पर्वतीय श्रृंगर में स्थित है और माउंट आबू क्षेत्र के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों का आवास है, जैसे कि भालू, चीतल, सांभर, नीलगाय, चिंगारा, चित्रकूट, जंगली सुअर, गोंड, गोंडा, मक्कड़, बारासिंघा, और अन्य। यहाँ पर वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम और पहलें चलाई जाती हैं।

विश्व वन्यजीव दिवस 2023 की थीम (Theme of World Wildlife Day 2023)

विश्व वन्यजीव दिवस 2023 की थीम “वन्यजीव सजीव जीवन के लिए जंगली जीवन” थी। इस थीम का मुख्य उद्देश्य जंगली जीवन के महत्व को बढ़ावा देना, वन्यजीव संरक्षण के महत्व को जागरूक करना और मानव-वन्यजीव संघर्ष के मुद्दे पर ध्यान देना था। इस थीम के तहत विभिन्न प्राकृतिक संरक्षण संगठन और संगठनों ने विशेष कार्यक्रम और जागरूकता अभियान आयोजित किए थे।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह केवल एक संक्षिप्त सारांश है। अधिक जानकारी के लिए, कृपया मूल स्रोतों का संदर्भ लें।

Video Credit :- WNCT-TV 9 On Your Side

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